CBI ओडिशा ट्रेन एक्सीडेंट की 3 थ्योरी से पड़ताल करेगी : लापरवाही, साजिश या टेक्निकल गड़बड़ी; आखिर वहां हुआ क्या था

CBI ने ओडिशा ट्रिपल ट्रेन हादसे की जांच शुरू कर दी है। मंगलवार को 6 लोगों की टीम एक्सीडेंट साइट पहुंची और बहानगा बाजार रेलवे स्टेशन का भी दौरा किया। वहां सिग्नलिंग रूम, रिकॉर्ड रूम और अधिकारियों से पूछताछ की।

रेलवे के टॉप अफसर और मौजूद साक्ष्यों के मुताबिक इस एक्सीडेंट की 3 थ्योरी सामने आ रही हैं। CBI इन्हीं 3 गुत्थियों को सुलझाकर एक नतीजे पर पहुंचेगी। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे क्या है ये 3 थ्योरी…

सबसे पहले 2 जून को हुए हादसे का रिकैप, जिससे तीनों थ्योरी आसानी से समझ में आ जाएं…

बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन पर चार लाइनें हैं। दो सीधी मेन लाइन हैं। इस लाइन पर ट्रेन नहीं रुकती है। बाकी दो लूप लाइन हैं। अगर किसी ट्रेन को स्टेशन पर रोकना होता है तो उसे लूप लाइन पर रोका जाता है।

2 जून को शाम 6.55 बजे। बहानगा की दोनों लूप लाइन पर दो मालगाड़ी खड़ी थीं। हावड़ा से चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल मेन लाइन में चल रही थी। सिग्नल ग्रीन था। स्पीड 128 किमी/घंटा।

कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन से गुजरना था, लेकिन अंतिम समय में पॉइंट मशीन में सेटिंग बदलने से वह लूप लाइन पर चली गई। वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और डिब्बे छितरा गए। वहीं दूसरी मेन लाइन पर बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट भी गुजर रही थी। उसके दो डिब्बे भी चपेट में आ गए।

2 जून 2023 यानी जिस दिन ओडिशा के बहानगा बाजार स्टेशन के पास ट्रिपल ट्रेन हादसा हुआ, उस दिन दुर्घटना स्थल के पास एक रेलवे क्रॉसिंग का बूम बैरियर खराब हो गया था और उसकी रिपेयरिंग का काम चल रहा था। कोरोमंडल एक्सप्रेस इसी लाइन से गुजरने वाली थी।

संभावना जताई जा रही है कि काम को जल्दबाजी में खत्म करने के चलते सिग्नलिंग से जुड़े लोकेशन बॉक्स को नुकसान पहुंचा हो। इसकी वजह से इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में खराबी आई हो।

यानी इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम ने कोरोमंडल एक्सप्रेस को मिसगाइड किया। इसकी वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन से जाना था, जबकि ऐन वक्त पर उसे लूप लाइन पर डाल दिया गया और वो लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से जा टकराई।

इस थ्योरी में साफ तौर पर रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही दिखती है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी अपने एक बयान में कह चुके हैं कि शुरुआती जांच में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है। CBI इसकी पड़ताल करेगी।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है शायद वहां एक लेवल-क्रॉसिंग गेट खराब था। जिसने मेन लाइन पर ग्रीन सिग्नल को रोका था। रेलवे कर्मचारियों ने अस्थायी समाधान के रूप में पटरियों के किनारे रखे जाने वाले ‘लोकेशन बॉक्स’ में बदलाव कर दिया। यह ट्रेनों को निर्धारित ट्रैक पर चलने के लिए गाइड का काम करता है।

यही वजह है कि 2 जून को लोकेशन बॉक्स में हुए मैनुअल चेंज ने कोरोमंडल एक्सप्रेस को ग्रीन सिग्नल दे दिया, लेकिन उसे मेन लाइन के बजाय लूप लाइन की ओर जाने के लिए निर्देशित कर दिया। लूप लाइन पर पहले से ही एक मालगाड़ी खड़ी थी जिसे कोरोमंडल एक्सप्रेस ने टक्कर मार दी और इतना बड़ा हादसा हो गया।

थ्योरी-2: जानबूझकर साजिश के तहत इंटरलॉकिंग सिस्टम से छेड़छाड़ की गई

इसका संकेत पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने एक इंटरव्यू में दिया है। उन्होंने बताया कि इंटरलॉकिंग सिस्टम के बारे में मेरे पास जो इनपुट और समझ है, मुझे लगता है कि एक गंभीर छेड़छाड़ थी, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस मुख्य ट्रैक से लूप लाइन पर चली गई।

दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि ‘सिग्नल ग्रीन था और इंटरलॉकिंग सिस्टम का इस तरह खराब होना असंभव है। एक सिस्टम में इतने संयोग नहीं होते हैं। यदि किसी पॉइंट पर एक इंटरलॉकिंग सिस्टम फेल होता है या खराब होता है तो एक और सिस्टम लागू हो जाता है। इसीलिए इस सिस्टम को ‘फेल-सेफ’ कहा जाता है।

यदि फेल-सेफ सिस्टम एक्टिव हो जाता तो उस ट्रैक पर सभी सिग्नल रेड हो जाते हैं, और ट्रेन रुक जाती। उन्‍होंने कहा कि यह कोई साजिश लगती है, जिसे सावधानी से अंजाम दिया गया।

दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि एक ड्राइवर सिग्नल के आधार पर केवल ब्रेक लगा सकता है या ट्रेन की स्पीड बढ़ा सकता है। ड्राइवर न तो ट्रैक बदल सकता है और न ही ट्रेनों का रूट बदल सकता है। लिहाजा, सिस्टम के अंदर से छेड़छाड़ किए जाने के बाद ट्रेन ने ट्रैक बदला और अपने आप ही मेन लाइन से लूप लाइन पर चली गई।

रेलवे अफसरों ने भी बताया कि सिस्टम में फेल-सेफ फीचर है यानी गड़बड़ी होने पर सभी सिग्नल रेड हो जाएंगे। हालांकि ऐसा लगता है कि इस सिस्टम के साथ किसी एक्सपर्ट यानी इसे जानने वाले ने जानबूझकर छेड़छाड़ की। CBI साजिश के एंगल से भी इस दुर्घटना की पड़ताल करेगी।

इस हादसे के बाद रेलवे ने सोमवार को रिले रूम्स की सुरक्षा को लेकर देश भर में अलर्ट जारी किया है। साथ ही सिग्नलिंग इक्विपमेंट और रिले रूम्स को डबल लॉक करने को कहा है।

थ्योरी- 3: इलेक्ट्राॅनिक इंटरलॉकिंग के सिस्टम में टेक्निकल खराबी

साउथ वेस्टर्न रेलवे के मैसूरु डिवीजन में इस साल फरवरी में एक ऐसी ही दुर्घटना को टाला गया था। इस दौरान संपर्क क्रांति एक्सप्रेस मेन लाइन की जगह लूप लाइन में जाने लगी थी, जहां पर पहले से ही मालगाड़ी खड़ी थी। हालांकि लोको पायलट यानी ड्राइवर अलर्ट था और वक्त रहते हादसे को टाल दिया गया।

हादसे के बाद प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशन मैनेजर ने चिट्ठी लिखकर सिस्टम में गंभीर खामियों को उजागर किया था और सिस्टम को सुधारने के लिए कहा गया था।

विपक्षी दलों द्वारा सार्वजनिक किए गए पत्र से पता चलता है कि ट्रेन के सिग्नल पर चलने के बाद डिस्पैच का मार्ग बदल जाता है। वहीं स्टेशन मास्टर के डिस्प्ले पैनल पर सही उपस्थिति दिखाई देती रहती है यानी ट्रेन सही दिशा में जा रही है जबकि उसका रूट बदल जाता है।

इसने चेतावनी दी कि इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल मेंटेनर शायद रिले रूम को खोले बिना इंटरलॉकिंग गियर तक पहुंच प्राप्त कर रहा है, जिसने इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया।

अब CBI ही पता लगाएगी कि कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे के लिए लापरवाही, साजिश या टेक्निकल गड़बड़ी; कौन सी थ्योरी जिम्मेदार है।

स्रोत : भास्कर

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