अखिल भारत हिन्दू महासभा का जंतर-मंतर पर प्रचंड विरोध प्रदर्शन

मणिपुर, पश्चिम बंगाल व नूंह में हिंदूओं के कत्लेआम पर राज्य व केंद्र सरकारों के उदासीन रवैया अपनाने के खिलाफ अखिल भारत हिन्दू महासभा का

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महर्षि याज्ञवल्क्य

याज्ञवल्क्य (ईसापूर्व 7वीं शताब्दी) भारत के वैदिक काल के एक ऋषि तथा दार्शनिक थे। वे वैदिक साहित्य में शुक्ल यजुर्वेद की वाजसेनीय शाखा के द्रष्टा हैं। इनको अपने काल का सर्वोपरि वैदिक ज्ञाता माना

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महर्षि कात्यायन

कात्यायन नाम से कालांतर में कई ऋषि हुए हैं। एक विश्वामिंत्र के वंश में जिन्होंने श्रोत, गृह्य और प्रतिहार सूत्रों की रचना की थी, दूसरे

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महर्षि कश्यप

महर्षि कश्यप एक वैदिक ऋषि थे। इनकी गणना सप्तर्षि गणों में की जाती थी। हिन्दू मान्यता अनुसार इनके वंशज ही सृष्टि के प्रसार में सहायक हुए। इनके पिता ब्रह्मा के पुत्र मरीचि ऋषि

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कपिल मुनि

कपिल प्राचीन भारत के एक प्रभावशाली मुनि थे। उन्हे प्राचीन ऋषि कहा गया है। इन्हें सांख्यशास्त्र (यानि तत्व पर आधारित ज्ञान) के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है जिसके मान्य

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जैमिनी ऋषि

आचार्य जैमिनी महर्षि कृष्णद्वैपायन व्यासदेव के शिष्य थे। सामवेद और महाभारत की शिक्षा जैमिनी ने वेदव्यास से ही पायी थीं। ये ही प्रसिद्ध पूर्व मीमांसा दर्शन के रचयिता हैं। इसके अतिरिक्त इन्होंने ‘भारतसंहिता’

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ऐतरेय ब्राह्मण

संसार में सबसे प्राचीन ग्रन्थ हमारे वेद हैं । ये चार हैं- ‘ऋग्वेद’, ‘यजुर्वेद’, ‘सामवेद’ तथा ‘अथर्ववेद’ । प्रत्येक वेदों को दो भागों में बंटा है ।

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अष्टावक्र ऋषि

अष्टावक्र अद्वैत वेदान्त के महत्वपूर्ण ग्रन्थ अष्टावक्र गीता के ऋषि हैं। अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। ‘अष्टावक्र’ का अर्थ ‘आठ जगह से टेढा’ होता है। कहते हैं कि अष्टावक्र का शरीर

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अगस्त्य ॠषि

अगस्त्य (तमिल: अगतियार) एक वैदिक ॠषि थे। ये वशिष्ठ मुनि के बड़े भाई थे। इनका जन्म श्रावण शुक्ल पंचमी (तदनुसार 3000 ई.पू.) को काशी में हुआ था। वर्तमान में वह स्थान अगस्त्यकुंड के नाम से

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