सावरकर जैसा महान क्रांतिकारी कोई नहीं

सावरकर जैसा महान क्रांतिकारी कोई नहीं है, उनका देश को स्वतंत्र कराने में महान योगदान है। उपरोक्त बातें अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बाबा नंद किशोर मिश्र ने आज 28 मई, 2023 को सावरकर जयंती पर कही। आगे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए श्री मिश्र ने बताया कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायक विनायक दामोदर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था। सावरकर ने 1922 में रत्नागिरी में कैद के दौरान हिंदुत्व की हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक विचारधारा विकसित की। वह हिंदू महासभा में एक प्रमुख व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखने के बाद से सम्मानजनक उपसर्ग वीर (“बहादुर”) का उपयोग करना शुरू कर दिया।

हिंदू महासभा के अध्यक्ष ने आगे बताया कि सावरकर जी भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1857 की लड़ाई को ‘भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम’ बताते हुए 1907 में लगभग एक हज़ार पृष्ठों का इतिहास लिखा। वे भारत के पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी पुस्तक को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश साम्राज्य की सरकारों ने प्रतिबन्धित कर दिया था। सावरकर जी को  अंग्रेजों ने 1911 में 50 साल की कैद की सजा सुनाई जबकि उस समय वे मात्र 28 साल के थे। सावरकर जी का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर (Veer Savarkar) है। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व के दर्शन के सूत्रधार थे। उनके पिता दामोदर पंत सावरकर और माता यशोदा सावरकर थे। सावरकर ने बेहद कम उम्र में ही अपने माता -पिता को खो दिया था। वीर सावरकर ने अभिनव भारत समिति (यंग इंडिया सोसाइटी) 1904 में विनायक दामोदर सावरकर और उनके भाई गणेश दामोदर सावरकर व नारायण दामोदर सावरकर द्वारा स्थापित एक गुप्त समाज था।

नंद किशोर मिश्र ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे सावरकर की जीवनी पढ़ें ही साथ में अपने परिवार, मित्रों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें क्योंकि देश की रक्षा वीर विनायक दामोदर सावरकर जी के विचारों से ही होगी।

 

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