हिन्दू धर्म शास्त्र में गाय को विशेष महत्व क्यों?

गाय को लेकर हिंदू धर्म में धार्मिक मान्यताएं हैं। गाय को पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ अगर साइंस के नजरिए से देखा जाए तो गाय के दूध से लेकर गोबर तक में कई ऐसे गुण पाए गए है जो कई बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करते है, लेकिन हिंदू धर्म में पूजनीय गाय के असल धार्मिक मायने क्या है? ये शायद ही किसी को भी सही ढंग से पता हो या सही जानकारी हो। आज हम आपको हिंदू धर्म में गाय के सही मायनों के बारे बताएंगे और ये भी बताएंगे कि गाय का ज्योतिषीय महत्व क्या है।

समझें गाय का ज्योतिषीय महत्व – नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय की विशेष भूमिका होती है, कहा तो यह भी जाता है कि गोदान से ही सभी अनिष्ट कट जाते हैं। शनि की दशा, अंतरदशा, और साढ़ेसाती के समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर देता है। – मंगल के अनिष्ट होने पर लाल वर्ण की गाय की सेवा और निर्धन ब्राम्हण को गोदान मंगल के प्रभाव को क्षीण करता है। – बुध ग्रह की अशुभता निवारण हेतु गौवों को हरा चारा खिलाने से बुध की अशुभता नष्ट होती है। – गाय की सेवा, पूजा, आराधना, आदि से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुखमय होने का वरदान भी देती हैं। – गाय की सेवा मानसिक शांति प्रदान करती है।

गाय से संबंधित धार्मिक व्रत और उपवास   गोपद्वमव्रतः- सुख, सौभाग्य, संपत्ति, पुत्र, पौत्र, आदि के सुखों को देने वाला है। गोवत्सद्वादशी व्रतः- इस व्रत से समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं। गोवर्धन पूजाः- इस लोक के समस्त सुखों में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। गोत्रि-रात्र व्रतः- पुत्र प्राप्ति, सुख भोग, और गोलोक की प्राप्ति होती है। गोपाअष्टमीः- सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। पयोव्रतः- पुत्र की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को संतान प्राप्ति होती है।

स्रोत : भास्कर

 

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